Monday, December 28, 2020

नयी आस बांधी है

नयी आस बांधी है

स्व श्वास साधी है

चल पड़ा हूं

संवेदनाओं को

शब्द ओढ़ाने

ताकि वे उगने से लेकर

अस्त होने तक 

पल्लवित रहें

क्योंकि उनसे

जीवन साधना है

पल प्रतिपल

4 comments:

  1. स्वागतम्! स्वागतम्! स्वागतम्!

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  2. शुभकामनाएं। नये वर्ष की भी कविता के साथ ।

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  3. कविता के इस प्रथम पुष्प का स्वागत है.

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